Eastern Economic Forum 2023 : भारत एक बड़ी बैठक में शामिल होने के लिए रूसी बंदरगाह शहर व्लादिवोस्तोक

G20 बैठक में भारत में होकर दिखाया जिसे दुनिया संभव मान रही थी पीएम मोदी से नफरत करने वाले लोग बोल रहे थे, कि यूक्रेन के मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन पाएगी और भारत में होने वाला g20 शिखर सम्मेलन पहला ऐसा सम्मेलन होगा जो बिना किसी घोषणा पत्र के खत्म हो जाएगा लेकिन आपको बता दें कि भारत में हुई g20 बैठक न केवल सबसे सफल सम्मेलनों में से एक रही बल्कि भारत ने सर्वसम्मति के साथ g20 का नई दिल्ली घोषणा पत्र जारी कर दिया इस घोषणा पत्र में यूक्रेन में चल रहे युद्ध का जिक्र तो किया गया लेकिन लेकिन रूस की आलोचना नहीं की गई, पुतिन ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि दुनिया को भारत से कुछ सीखना चाहिए उसके बाद अब रूस g20 का एहसान चुकाने के लिए भारत को एक बड़ा तोहफा देने जा रहा है।
रूस ने भारत को Eastern Economic Forum की एक बड़ी बैठक में शामिल होने के लिए रूसी बंदरगाह शहर व्लादिवोस्तोक में आयोजित किया जा रहा है।
रूस का वह शहर है जो चीन के बॉर्डर से सटा हुआ है चीन लगातार व्लादी वस्तुओं पर कब्जा करने की कोशिश में लगा रहता है आप ब्लडी वस्तुओं को रूस का बलूचिस्तान भी कह सकते हैं क्योंकि रूस का यह इलाका नेचुरल रिसोर्सेस का भंडार है इसीलिए चीन की गंदी नज़रें यहां खड़ी हुई है ।
अब भारत रूस के इस इलाके को चीन से बचने के लिए पहुंच रहा है आप यह भी बोल सकते हैं कि भारत रूस को बचाने के लिए रूस में ही घुस रहा है इसी कड़ी में भारत के केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ईस्टर्न इकोनामिक फोरम की बैठक में हिस्सा लेने के लिए ब्लडी वस्तुओं को पहुंच चुके हैं इस बैठक में चेन्नई को गुलाबी वह स्टॉक से जोड़ने पर फाइनल डील हो सकती है आपको बता दे कि भारत और रूस चेन्नई और स्टॉक मैरिटाइम कॉरिडोर पर कम कर रहे हैं ।
इस कॉरिडोर की मदद से कोयला तेल और एलपीजी गैस आराम से रस से चेन्नई तक पहुंच सकेगी यानी भारत एक तरफ तो g20 बैठक में इंडिया मिडल ईस्ट और यूरोप के मेगा इकोनामिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट का हिस्सा बन गया और दूसरी तरफ भारत ने रूस के साथ मैरिटाइम कॉरिडोर पर भी काम शुरू कर दिया इन दोनों कॉरिडोर्स की वजह से भारत की चांदी हो गई है और चीन दोनों ही जगह पर मर गया है ।
यह कॉरिडोर अगर बन गया तो रस से आने वाला कोयला तेल और एलपीजी गैस कम समय में भारत पहुंच जाएगी और इसकी लागत भी कम लगेगी भारत में हाल ही में रस को गुलाबी दोस्तों के पास एक सैटेलाइट शहर बनाने का प्रस्ताव भी दिया है।
इस शहर के बनने के बाद वह स्टॉक में भारत की जड़े मजबूत हो जाएंगे भारत ने रूस के इस इलाके के विकास के लिए एक अरब डॉलर का लाइन ऑफ क्रेडिट भी दिया है आपको बता दे कि अगर चेन्नई व्लादी दोस्तों मैरिटाइम कॉरिडोर शुरू हो जाता है।
तो रूस और भारत के बीच 5600 समुद्री मील की दूरी सिर्फ 10 दिनों के अंदर ही कर की जा सकती है इससे दुनिया के इस हिस्से में बड़े कार्गो शिप आने जाने की संभावना भी बढ़ जाएगी जानकारी के लिए बता दें कि चेन्नई का समुद्री रास्ता सोवियत संघ टूटने के बाद ही खत्म हो गया था लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस रास्ते को दोबारा जिंदा करना चाहते हैं आपको बता दें कि भारत और रूस के बीच अगर यह मैरिटाइम कॉरिडोर शुरू हो जाता है तो चीन को ऐसा झटका लगेगा इसके चलते वह सदियों तक नहीं उभर पाएगा।
केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री, श्री सर्बानंद सोनोवाल पूर्वी आर्थिक मंच में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यह मंच रूसी बंदरगाह शहर व्लादिवोस्तोक में आयोजित किया जा रहा है।
भारत के जहाजरानी मंत्री पूर्वी समुद्री गलियारे पर सत्र में भी बोलेंगे। पूर्वी समुद्री गलियारे का लक्ष्य हमारे देशों के बीच कार्गो पारगमन समय को कम करना है। भारतीय बंदरगाहों से रूसी सुदूर पूर्व तक की यात्रा में केवल 24 दिन लगते हैं, जबकि नोवोरोस्सिएस्क बंदरगाह से 30 दिन लगते हैं।
इस गलियारे में भारत और रूस दोनों के लिए व्यापार और सहयोग के नए अवसर खोलने की अपार क्षमता है।
आठवां ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम 2023 10 से 13 सितंबर 2023 तक व्लादिवोस्तोक में सुदूर पूर्वी संघीय विश्वविद्यालय (FEFU) परिसर में आयोजित किया जा रहा है।
पूर्वी आर्थिक मंच का उद्देश्य रूसी और वैश्विक निवेश समुदायों के बीच संबंधों को स्थापित करना और मजबूत करना है और रूसी सुदूर पूर्व की आर्थिक क्षमता, इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले निवेश के अवसरों और उन्नत विशेष आर्थिक क्षेत्र में व्यावसायिक स्थितियों का व्यापक विशेषज्ञ मूल्यांकन प्रदान करना है। यह एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मंच है.
पूर्वी आर्थिक मंच की स्थापना रूसी सुदूर पूर्व के आर्थिक विकास का समर्थन करने और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए 2015 में रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश से की गई थी।